बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान
प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
धर्म और साम्प्रदायिकता के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव
वर्तमान समय में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद जैसे धार्मिक विवाद का जिस प्रकार राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया है वह सर्वविदित है। स्वाधीनता से शुरू हुई चुनावी राजनीति में मुख्य रूप से साम्प्रदायिकता को और बढ़ावा दिया है। धर्म के आधार पर राजनैतिक दलों का निर्माण होता है। चुनावों में समर्थन तथा मत प्राप्त करने के लिए धर्म का सहारा लिया जाता है। जनता से की जाने वाली अपीलों में उन्हें दिये गये आश्वासनों, निर्वाचन में प्रत्याशियों के चयन तथा मतदान व्यवहार में धर्म का राजनीतिक स्वरूप देखने को मिलता है। भारत में धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना के बाद भी धर्म एवं सम्प्रदाय भारतीय राजनीति के स्वरूप को निम्नलिखित ढंग से प्रभावित करते हैं।
(1) धर्म एवं राजनैतिक दल - भारत में विभिन्न राजनीतिक दलों तथा दबाव समूहों के गठन एवं कार्यकरण की आधारशिला धर्म एवं साम्प्रदायिकता रही है। भारत में मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा अपनी प्रेरणा एवं समर्थन क्रमशः मुस्लिम धर्म तथा हिन्दू धर्म से प्राप्त करते हैं। बी. जे. पी. तथा आर. एस. एस. भी अपने प्रेरणा हिन्दुत्व से ही प्राप्त करती है। शिरोमणि अकाली दल के निर्माण में भी सिखों की धार्मिक एवं साम्प्रदायिक भावनाएँ महत्वपूर्ण रही हैं। साम्प्रदायिकता पर आधारित ऐसे राजनीतिक दल धर्म को राजनीति में प्रधानता देते हैं। जनता दल, कांग्रेस, विभिन्न साम्यवादी दल यद्यपि सैद्धान्तिक रूप से पूर्णत: धर्म-निरपेक्ष कहे जा सकते हैं, परन्तु इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि उन्हें भी राजनीतिक तथ्यों एवं प्रभावों के साथ समझौता करना पड़ता है।
राजनीतिक दलों के अतिरिक्त कुछ दबाव समूह भी ऐसे हैं जो विभिन्न धर्मों एवं सम्प्रदायों से प्रेरणा एवं समर्थन प्राप्त करते हैं। ऐसे दबाव समूहों में जमाते उल्मा, आर. एस. एस., विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल, बावरी मस्जिद कार्य समिति आदि का नाम लिया जा सकता है।
(2) धर्म और निर्वाचन - जैसा कि संकेत किया गया है स्वाधीनता के बाद चुनावों की राजनीति ने धर्म एवं सम्प्रदाय की राजनीतिक भूमिका को बढ़ाया है। भारत में चुनाव के समय प्रत्याशियों के चयन, राज्य स्तर के चुनाव तथा स्थानीय निकायों के चुनावों के समय देखने को मिलता है। वोट बटोरने के लिए मठाधीश, इमामों तथा पादरियों के द्वारा अपने पक्ष में मत दिलवाये जाते हैं। शंकराचार्यों तथा विशेष रूप से दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम का अपने-अपने सम्प्रदायों में काफी महत्व प्राप्त होता है। 1989 तथा 1991 संसदीय आम निर्वाचनों के समय जिस प्रकार धर्म के आधार पर भारतीय जनता पार्टी ने हिन्दू धर्म के अनुयायियों में समर्थन को प्राप्त करने का प्रयास किया और अपने प्रयास में जैसी सफलता पायी उससे यह स्पष्ट है कि कितने बड़े पैमाने पर वोट के लिए धर्म एवं साम्प्रदायिकता का सहारा लिया जा सकता है।
(3) धर्म एवं मतदान व्यवहार - धर्म एवं साम्प्रदायिकता जैसे तथ्य भारतीय मतदाताओं में मतदान व्यवहार को भी प्रभावित करते हैं। अल्पसंख्यक समुदायों मुसलमानों, सिखों एवं ईसाइयों के साथ हमेशा ऐसी बात रही है, परन्तु हाल के वर्षों में और विशेष रूप से 1989 तथा 1991 के संसदीय आम निर्वाचन तथा 1990 के फरवरी में राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश तथा महाराष्ट्र में हिन्दूओं में मतदान व्यवहार को प्रभावित करने में धर्म एवं साम्प्रदायिकता एवं महत्वपूर्ण तथ्य रहा, परन्तु यह भी उल्लेखनीय है कि 6 दिसम्बर, 1992 को मस्जिद ढहाये जाने के बाद बी. जे. पी. शासित चार राज्यों की सरकार को बर्खास्त किया गया और पुन: उपचुनाव में बी. जे. पी. का न आना धर्म का मतदान व्यवहार पर असर कम होने लगा।
(4) धर्म एवं राजनीतिक पुरस्कारों का वितरण - आम निर्वाचन के पश्चात् मन्त्रिमण्डल के राजनीतिक पदों के वितरण धार्मिक एवं साम्प्रदायिक विचारों से प्रभावित होते हैं। केन्द्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री आवश्यक रूप से कुछ मुसलमानों, सिखों तथा ईसाइयों को मन्त्रिमण्डल में शामिल करता है। उसी प्रकार राज्य स्तर पर भी विभिन्न धार्मिक समुदाय को मन्त्रिमण्डल में प्रतिनिधित्व दिया जाता है। इसके अतिरिक्त व्यवस्थापिका एवं प्रशासन में भी पदों के बँटवारे में धार्मिक बातों का ध्यान रखा जाता है।
(5) सरकारी नीति एवं कार्य तथा धर्म - सरकार की बहुत सारी नीतियाँ एवं कार्य भी धार्मिक एवं साम्प्रदायिक विचारों से प्रभावित होते हैं। उदाहरण के लिए भारत सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने में दिलचस्पी दिखाई है। हिन्दू महासभा, बी. जे. पी. वी. एच. पी. तथा शिवसेना आदि ने सरकार पर यह आरोप लगाया कि सरकार केवल हिन्दुओं की संख्या घटाने में ही दिलचस्पी रखती है। इसलिए मुसलमानों के सम्बन्ध में इस नीति को प्रभावशाली ढंग से लागू नहीं किया गया है।
भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका का अब तक की चर्चा के पश्चात् यह स्पष्ट है कि धर्म एवं साम्प्रदायिकता राजनीति का एक निर्धारक तत्व है, परन्तु यह उल्लेखनीय है कि धर्म भारतीय राजनीति को प्रभावित करने वाला एक नियमित तत्व नहीं रहा है। यही कारण है कि यद्यपि धर्म एवं साम्प्रदायकिता के नाम पर राजनीतिक दलों के गठन, प्रत्याशियों के चयन, मतों का भाग तथा मतदाताओं द्वारा मतदान आदि के उदाहरण पाये जाते हैं, परन्तु धर्म कभी-कभी ही चुनावों को प्रभावित कर पाता है। यदि भारतीय राजनीति मुख्य रूप से धर्म एवं साम्प्रदायिकता से ही प्रभावित होती, तो निश्चित रूप से बी. जे. पी. सत्ता में रहती, कांग्रेस पार्टी, जनता दल तथा साम्यवादी दल को कोई प्रभाव नहीं होता, परन्तु भारत में ऐसा नहीं है। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण, शहरीकरण के विकास तथा शिक्षा के प्रसार ने इसकी महत्ता को निश्चित रूप से कम कर दिया है। यद्यपि राम जन्मभूमि तथा बाबरी मस्जिद के मुद्दों के चलते साम्प्रदायिकता का बोलबाला भारतीय राजनीति की यह एक अल्पकालिक अवस्था या चरण है और विवाद के समाधान के लिए धर्म एवं साम्प्रदायिकता की भूमिका फिर से कम हो जायेगी।
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- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।